गुरुवार, 30 अगस्त 2012

नमस्ते मित्रों, 


विद्यार्थी जीवन से मुझे किताबें पत्रिकाएं पढने का बहुत शौक रहा है. कभी कभी उपन्यास भी पढ़ लेता था. बाद में इसी पढने के शौक ने मुझे लेखन की तरफ मोड़ा. पहले ग़ज़लें, कविताएँ और गीत. जैसा मैं सोचता हूँ  उसी तरह से लिख देता हूँ. मैंने कभी लिखना नहीं सीखा. मन के विचारों को शब्दों में ढालने की कोशिश करता रहता हूँ. सच लिखूं  तो मुझे ठीक से एडिटिंग करना भी नहीं आता मेरी लिखी रचनाओं को।

कुछ समय पहले  कहानी लिखने का ख्याल दिल में आया. कुछ विषय सोचे. ऐसे विषय जो आज के दौर में ज्वलंत है. मेरी कोशिश रहेगी कि कुछ नयेपन के साथ कहानी लिखूं. ये मेरे लिए बिलकुल नया अनुभव है. देखना है ये अनुभव कैसा रहता है.


आपका अपना  

नरेश बोहरा ( नरेश नाशाद )

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